प्रकृति के बड़े रहस्यों में से एक रहस्य यह भी है कि मानव अपने इतने छोटे मष्तिष्क के आधार पर कैसे इतने बड़े और जटिल संसार को समझने की क्षमता रखता है।
मानव, मशीनों का उपयोग करके ऐसे बहुत सारे काम कर सकता है जो उसकी शारीरिक क्षमताओं से परे हैं, जैसे कि हवाई जहाज की उड़ान, बड़े-बड़े भवन, पुल और सुंरगों का निर्माण, अंतरिक्ष में उड़ रही प्रयोगशालाएँ, दूरसंचार के साधन इत्यादि।
क्या ऐसी मशीनें बनायीं जा सकती हैं जिनमें ऐसी मानसिक क्षमताएँ हों जिन्हें हम सिर्फ मनुष्यों से जोड़कर देखते हैं। जैसे-
- भाषा का उपयोग करना
- अपने आस पास की बस्तुओं को देखना और समझना
- तथ्यों के आधार पर निष्कर्ष लेना
- पूर्वानुमान करना
- संगीत, कला और साहित्य का सृजन
- अनुभव के आधार पर सीखना
सौभाग्य से इन सभी प्रश्नों का उत्तर हाँ में है !
इस चर्चा में हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (ऐ आई ) नाम का उपयोग करेंगे जिसके दो पर्याय, मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग का भी अक्सर उपयोग होता है।
मशीन लर्निंग एक ऐसा विषय है जिसमें हम ऐसे कम्प्यूटर प्रोग्राम लिखने के बारे में सीखते हैं जो वक्त और अनुभव के साथ किसी कार्य को करने में दक्ष होते जाएँ।
डीप लर्निंग, मशीन लर्निंग की वह शाखा है जो मानव मस्तिष्क की कार्यप्रणाली पर आधारित है।
क्या है आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ?
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक ऐसा विषय है जिसमें हम मनुष्य की सोचने — समझने और अनुभव करने की क्षमताओं का अध्ययन करते हैं और इस प्रकार की मशीनों के निर्माण का प्रयास करते हैं जो :
- मनुष्यों की तरह सोच सकें
- मनुष्यों की तरह व्यवहार कर सकें
उदाहरण — चालक रहित वाहन, चाट-बोट
लेकिन ऐसा होगा कैसे ?
लगभग सौ साल पहले जब लोगों ने उड़ने के बारे में सोचा तो उनके पास पक्षियों का उदाहरण सामने था। बहुत से लोगों ने पंख लगाकर उड़ने की कोशिश भी की लेकिन ये सभी कोशिशें नाकाम रही।
उड़ान की असली शुरुआत तब हुई जब लोगों ने पक्षियों की नक़ल करना छोड़कर उड़ान के सिद्धांतों का गम्भीरतापूर्वक अध्ययन शुरू किया।
तो क्या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए भी हमें मानव मस्तिष्क की नक़ल करना छोड़ देना चाहिए ? यह एक ज्वलंत प्रश्न है।
कैसे पता चलेगा कि किसी मशीन में सोचने — समझने की क्षमता है ?
पिछली सदी के मध्य में जब दूसरा विश्व युद्ध चल रहा था, एक प्रसिद्ध अंग्रेजी गणितज्ञ जिसका नाम एलन ट्यूरिंग था, ने एक परीक्षण या टेस्ट का प्रस्ताव रखा जिसे हम ट्यूरिंग टेस्ट कि नाम से जानते हैं, और जिसका उपयोग हम किसी मशीन की बुद्धि का आंकलन करने के लिए कर सकते है।
ट्यूरिंग टेस्ट में हम किसी मशीन से लिखित में सवाल पूछते हैं और अगर हम मशीन और इंसान द्वारा दिए गए उत्तरों में भेद न कर सकें तो हम मान लेते हैं कि मशीन में बुद्धि का विकास हो चुका है।
व्यापक ट्यूरिंग टेस्ट में हम मशीन से अपेक्षा करते हैं की वो वो आसपास की चीजों को देखने — समझने के अलावा मनुष्य की भाषा में संवाद भी कर सके। इसके लिए निम्न दो क्षमताओं की आवश्यकता भी होती है ?
- कम्प्यूटर दृष्टि
- मानव भाषा दक्षता
सारांश में हम कह सकते हैं कि एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस निकाय में मानवीय भाषा को समझने की क्षमता, मानवीय दृष्टि, अनुभव के आधार पर सीखने की क्षमता और अपने आसपास के वातावरण को समझने और बदलने की क्षमता आवश्यक है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कि उदाहरण -
* फेसबुक
फेसबुक अपनी कई सुविधाओं कि लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करता हैं, जिसमें से कुछ प्रमुख निम्न हैं -
- चेहरों की पहचान
- लोगों द्वारा लिखे गए संवादों को समझना
- लक्ष्य आधारित विज्ञापन — फेसबुक आपकी पसंद समझकर आपको उपयोगी विज्ञापन दिखाता है।
* अमेजन
अमेजन अपनी बहुत सारी लोकप्रिय सुविधाओं कि लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करता है जिनमें से प्रमुख है — - सुझाव सेवा — अमेजन आपकी गत खरीदारी कि आधार पर आपको सुझाव देता है कि आपके लिए क्या उपयोगी रहेगा।
- भाषा विश्लेषण — अमेजन अपनी कई सेवाओं में लोगों द्वारा लिखे हुए संवादों को अपने आप समझने की क्षमताओं का उपयोग करता है।
- बोलकर काम करने वाली सुविधाओं — अपनी कई सेवाओं और उत्पादों जैसे एलेक्सा आदि में मानव भाषा को समझने की क्षमताओं का उपयोग करता है।
- फोटो और विडिओ का वर्गीकरण — अलग अलग प्रकार कि फोटो और विडिओ को अलग — अलग करना |
गूगल
गूगल दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी होने कि साथ साथ सबसे बड़ी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की कंपनी भी है , और निम्न लोकप्रिय सेवाओं में इसका उपयोग करती है —
- गूगल अनुवाद — दुनिया की किसी भी भाषा से किसी भी भाषा में अनुवाद।
- शब्द से बोल और बोल से शब्द — गूगल हमारी बात सुनकर टाइप कर सकता है और टाइप की गई बात को बोल सकता है।
- गूगल असिस्टेंट — हमारी बात सुनकर सेवायें प्रदान कर सकते है।
- जीमेल स्मार्ट उत्तर — ईमेल को समझकर उत्तर लिखने में हमारी मदद कर सकता है।
- लक्ष्य आधारित विज्ञापन — अलग अलग लोगों को उनकी पसंद कि आधार पर विज्ञापन दिखा सकता है।
आर्टिफिशियल और डाटा साइंस
सारे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम कम्प्यूटर सिद्धांत आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आधार पर काम करते हैं, जिसमें मुख्य प्रक्रिया कि तीन अंग होते हैं —
- इनपुट
- आउटपुट
- कम्प्यूटर
सामान्यतया इनपुट और आउटपुट एक सूचना के संग्रह के रूप में होते हैं जिन्हें हम डाटा कहते हैं। डाटा के अलावा हमें कम्प्यूटर को अपनी अपेक्षायें भी बतानी होनी हैं, जिसके लिए कम्प्यूटर की भाषा का उपयोग किया जाता है। वैसे तो कम्प्यूटर की भाषा सिर्फ ० और १ में होती है लेकिन अक्सर हम ऐसी भाषाओं का उपयोग करते हैं जो लोगों द्वारा भी समझी जाये, जैसे की पाइथन, जावा और सी।
डाटा निम्न में किसी भी प्रकार का हो सकते है।
- संख्या
- लेख और शब्द
- चित्र
- ध्वनि
- वीडियो
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम अपने अनुभव को, जिसके आधार पर वो सीखते है, ऊपर दिए गए किसी भी प्रकार कि डाटा का उपयोग कर सकते हैं।
मानव भाषा का विश्लेषण -
मानव भाषा का विश्लेषण या नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का एक महत्वपूर्ण विभाग है जिसमें लोगों द्वारा बोलचाल और लिखी गए भाषा को समझने का काम किया जाता है।
अक्सर हम जो भी बात करते हैं उसमें अक्सर निम्नलिखित तत्व होते हैं।
- तथ्य
- हमारी धारणाएँ और विचार
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करके हम किसी भी लेख में छुपे तथ्यों और धारणाओं को आसानी से अलग कर सकते हैं और इसका उपयोग कई तरह से किया जा सकते है जैसे —
- अनुवाद सेवाएँ
- प्रश्न उत्तर
- निष्कर्ष निकालना
- भावनायें समझना
- नक़ल पकड़ना
- प्रचार और मार्केटिंग
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करके हम शब्दों को संख्याओं में बदल सकते हैं तथा शब्दों के बीच के संबंधों को उजागर कर सकते हैं।
डीप लर्निंग
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के कई प्रकारों में से डीप लर्निंग सबसे अधिक उपयोगी और प्रभावशाली तकनीक है।
डीप लर्निंग का आधार मानव मस्तिष्क के अंदर चलने न्यूरोनों द्वारा अपनायी गयी कार्य प्रणाली है जो मानव की बुद्धि, अनुभव, सोच और समझ-भूझ के लिए जिम्मेदार मानी जाती है।
मानव मस्तिष्क के अंदर मौजूद खरबों न्यूरॉन एक दूसरे से एक खास तरह से जुड़े रहते हैं जिसमें एक न्यूरॉन कई न्यूरॉन से इनपुट लेता है और एक आउटपुट प्रदान करता है। एक न्यूरॉन अक्सर हजारों अन्य न्यूरोनो से एक खास तरह से जुड़ा रहता है।
डीप लर्निंग में हम कम्प्यूटर प्रोग्राम में इस तरह की इकाइयां प्रयोग में लाते हैं जो मानव मष्तिष्क में पाए जाने वाले न्यूरॉन की तरह व्यवहार करती हैं।
डीप लर्निंग के आधार पारा कई किस्म की उपयोगी सुविधाएँ विकसित की गयीं हैं जिनमें से कुछ प्रमुख नीचे दी गयीं हैं।
- चेहरों और वस्तुओं की पहचान
- एक भाषा से दूसरी भाषा में अनुवाद
- पूर्वानुमान — शेयर मार्किट, मानव हृदय की गति, किसी लेख में आने आने वाला अगला शब्द
- काल्पनिक व्यक्तियों की फोटो
- संगीत, कविता और पेंटिग्स की रचना
- किसी चित्र और विडिओ का शीर्षक
- किसी लेख का सारांश
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए किन विषयों की जानकारी चाहिए -
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कोई मूलभूत विज्ञान नहीं हैं और इसके अध्ययन के लिए निम्नलिखित विषयों की जानकारी जरूरी हैं —
- गणित
- सांख्यिकी
- कम्प्यूटर विज्ञान
- सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग
- क्षेत्र विषय
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और विवाद —
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का विवादों से गहरा सम्बन्ध हैं जिसमें से अधिकांश विवाद लोगों की आशंकाओं से संभावित हैं जिनमें से कुछ सत्य भी हो सकती हैं जैसे -
- ऑटोमेशन के कारण नौकरियों में छंटनी
- लोगों की खुफिया निगरानी
- भेदभाव
- मानव के अस्तित्व को खतरा।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक ऐसा विषय हैं जिससे मनुष्य के व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन का कोई भी पहलू अछूता नहीं रहा हैं। आने वाले दिनों में हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के करना लोगों के व्यवहार में भी मूलभूत बदलाव देख सकते हैं।
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